सादर वन्दे आदरणीय सुधी वृन्द!
सुहृद मित्रों, आज मैं भारतीय नहीं एक आयरिश साहित्यकार का संछिप्त परिचय प्रस्तुत करने जा रही हूँ। आप सोच सकते हैं स्वदेशी साहित्यकारों को पहले प्रस्तुत करना प्रासंगिक होता, लेकिन एक विदेशी साहित्यकार को प्राथमिकता देने के दो कारण हैं-
*यह एक ऐसे साहित्यकार हैं, जिन्हें भारतीय वदेव रबिन्द्र नाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार दिलाने में खासा योगदान रहा (जिसका सन्दर्भ पिछली पोस्ट में दिया गया था)।
*स्वयं भी साहित्य के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ट पुरस्कार नोबेल पुरस्कार के विजेता रहे।
*साहित्य तो सदैव सार्वभौम होता है।
विलियम बटलर यीट्स-
1865 को J.B.Yeats के घर जन्मे W.B.Yeats को कला मानों विरासत में मिली थी, आपके पिता एक पेंटर थे। पढाई के समय तक आपके माता-पिता लन्दन के निवासी हो गये थे लेकिन यीट्स ने छुट्टियों के दौरान या अन्य अवसरों पर अधिकांश अपने दादा-दादी के पास आयरलैंड में रहना पसंद करते थे। वहां के विभिन्न पहलुओं ने उनके जीवन को बहुत प्रभावित किया जिसका परिचय आपकी कविताओं में स्पष्ट दीखता है।
यीट्स के अध्ययनकाल में ही उनके पिता के माध्यम से कई महत्वपूर्ण साहित्यकारों से परिचय हुआ। उन्हीं में से एक Edward Dowden इन्हें साहित्यिक जीवन की शुरुआत कराते हुए महत्वपूर्ण कविता The Wondering of Oisin का प्रकाशन कराया, इसी के साथ आप की लेखनी दौड़ चली और सफलता कदम चूमने लगी। लन्दन के कई महान साहित्यकारों के साथ एक साहित्यिक क्लब की स्थापना की और अपने पहले नाटक The Countless Cathleen का प्रकाशन 1892 में किया।
आयरिश राजनीति और भारतीय धर्मशास्त्रों/उपनिषदों में विशेष श्रृद्धा थी। आयरिश महिला मॉड गोने से इतना प्रभावित हुए की उनके समर्पण में प्रेम और श्रृंगारिक कविताओं का अम्बार लगा दिया उनमे से प्रमुख हैं-
ए मेमरी ऑफ़ यूथ
फ़ालेन मेजेस्टी
फ्रेंड्स
ब्रोकन ड्रीम्स
प्रेज़ेंस आदि
प्रथम विश्व युद्ध और 50 की उम्र पार करते-करते आपकी रचनाएँ इह जगत से पार जाने लगी थीं। हृदय पटल पर अमिट छाप छोड़ने वाली अभिव्यक्ति थी। शायद ही कोई पहलू छोड़ा हो जिसे आपने सहित्य न समर्पित किया हो। जड़ को भी आवाज दी और कब्र में सोये लोगों को भी।
प्रतीकात्मकता (symbolism) आपके लेखन का विशिष्ट पहलू था। आइये कुछ चर्चा करें यीट्स द्वारा प्रयुक्त प्रतिको की;
symbolism के लिए आप विश्व में चिर परिचित हैं, फूल...चिड़िया...पानी...टापू...चन्द्रमा....इमारतें...आदि के माध्यम से स्वयं को अनोखे ढंग से प्रस्तुत करते थे। कहते थे- एक प्रतीक सौ व्यक्तियों को सौ तरह से आनन्दित ककर सकता है।
आपने गुलाब (rose) को बड़ा स्थान दिया है लेखन में; The Rode of Peace नामक कविता में गुलाब को भौतिक प्रेम का प्रतीक माना है तो Rose of World में इसे शाश्वत प्रेम और सौन्दर्य का प्रतीक माना है। एक अन्य कविता में गुलाब को ही सृजनात्मक कल्पना की शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया है।
cross(×) से यीट्स ने शरीर और आत्मा, सोने-जागने तथा जन्म-मृत्यु को प्रदर्शित किया है।
इसके अतिरिक्त इमारतों, हंस और ऐतिहासिक वस्तुओं को महत्व के साथ प्रयोग किया है।
सदा आत्मा के साथ रमण करने में विश्वास करते थे (unity with being)
आपके साहित्य ने शशैशवावस्था से वृद्धावस्था तक, व्यष्टि से प्रकृति तक, भौतिक से दैवीय तक यात्रा की।
आपकी प्रमुख कृतियाँ हैं-
The Rose
Dialogue Between soul and Body
The Tower
Relationship
Full Moon In March
Second Coming आदि
आपके विश्व साहित्य में अविस्मरनीय योगदान के लिए 1923 में विश्व का सर्वोच्च पुरस्कार प्रदान किया गया।
उनकी दो कवितायेँ यहाँ प्रस्तुत हैं-
हम इस महान कलाप्रेमी, कवि, नाटककार को अपनी अगाध श्रृद्धा समर्पित करते हैं।
इसी के साथ नमस्कार दोस्तों...
फिर मिलेंगे किसी साहित्यकार के साथ।
जय हो!
सादर
सुहृद मित्रों, आज मैं भारतीय नहीं एक आयरिश साहित्यकार का संछिप्त परिचय प्रस्तुत करने जा रही हूँ। आप सोच सकते हैं स्वदेशी साहित्यकारों को पहले प्रस्तुत करना प्रासंगिक होता, लेकिन एक विदेशी साहित्यकार को प्राथमिकता देने के दो कारण हैं-
*यह एक ऐसे साहित्यकार हैं, जिन्हें भारतीय वदेव रबिन्द्र नाथ टैगोर को नोबेल पुरस्कार दिलाने में खासा योगदान रहा (जिसका सन्दर्भ पिछली पोस्ट में दिया गया था)।
*स्वयं भी साहित्य के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ट पुरस्कार नोबेल पुरस्कार के विजेता रहे।
*साहित्य तो सदैव सार्वभौम होता है।
विलियम बटलर यीट्स-
1865 को J.B.Yeats के घर जन्मे W.B.Yeats को कला मानों विरासत में मिली थी, आपके पिता एक पेंटर थे। पढाई के समय तक आपके माता-पिता लन्दन के निवासी हो गये थे लेकिन यीट्स ने छुट्टियों के दौरान या अन्य अवसरों पर अधिकांश अपने दादा-दादी के पास आयरलैंड में रहना पसंद करते थे। वहां के विभिन्न पहलुओं ने उनके जीवन को बहुत प्रभावित किया जिसका परिचय आपकी कविताओं में स्पष्ट दीखता है।
यीट्स के अध्ययनकाल में ही उनके पिता के माध्यम से कई महत्वपूर्ण साहित्यकारों से परिचय हुआ। उन्हीं में से एक Edward Dowden इन्हें साहित्यिक जीवन की शुरुआत कराते हुए महत्वपूर्ण कविता The Wondering of Oisin का प्रकाशन कराया, इसी के साथ आप की लेखनी दौड़ चली और सफलता कदम चूमने लगी। लन्दन के कई महान साहित्यकारों के साथ एक साहित्यिक क्लब की स्थापना की और अपने पहले नाटक The Countless Cathleen का प्रकाशन 1892 में किया।
आयरिश राजनीति और भारतीय धर्मशास्त्रों/उपनिषदों में विशेष श्रृद्धा थी। आयरिश महिला मॉड गोने से इतना प्रभावित हुए की उनके समर्पण में प्रेम और श्रृंगारिक कविताओं का अम्बार लगा दिया उनमे से प्रमुख हैं-
ए मेमरी ऑफ़ यूथ
फ़ालेन मेजेस्टी
फ्रेंड्स
ब्रोकन ड्रीम्स
प्रेज़ेंस आदि
प्रथम विश्व युद्ध और 50 की उम्र पार करते-करते आपकी रचनाएँ इह जगत से पार जाने लगी थीं। हृदय पटल पर अमिट छाप छोड़ने वाली अभिव्यक्ति थी। शायद ही कोई पहलू छोड़ा हो जिसे आपने सहित्य न समर्पित किया हो। जड़ को भी आवाज दी और कब्र में सोये लोगों को भी।
प्रतीकात्मकता (symbolism) आपके लेखन का विशिष्ट पहलू था। आइये कुछ चर्चा करें यीट्स द्वारा प्रयुक्त प्रतिको की;
symbolism के लिए आप विश्व में चिर परिचित हैं, फूल...चिड़िया...पानी...टापू...चन्द्रमा....इमारतें...आदि के माध्यम से स्वयं को अनोखे ढंग से प्रस्तुत करते थे। कहते थे- एक प्रतीक सौ व्यक्तियों को सौ तरह से आनन्दित ककर सकता है।
आपने गुलाब (rose) को बड़ा स्थान दिया है लेखन में; The Rode of Peace नामक कविता में गुलाब को भौतिक प्रेम का प्रतीक माना है तो Rose of World में इसे शाश्वत प्रेम और सौन्दर्य का प्रतीक माना है। एक अन्य कविता में गुलाब को ही सृजनात्मक कल्पना की शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया है।
cross(×) से यीट्स ने शरीर और आत्मा, सोने-जागने तथा जन्म-मृत्यु को प्रदर्शित किया है।
इसके अतिरिक्त इमारतों, हंस और ऐतिहासिक वस्तुओं को महत्व के साथ प्रयोग किया है।
सदा आत्मा के साथ रमण करने में विश्वास करते थे (unity with being)
आपके साहित्य ने शशैशवावस्था से वृद्धावस्था तक, व्यष्टि से प्रकृति तक, भौतिक से दैवीय तक यात्रा की।
आपकी प्रमुख कृतियाँ हैं-
The Rose
Dialogue Between soul and Body
The Tower
Relationship
Full Moon In March
Second Coming आदि
आपके विश्व साहित्य में अविस्मरनीय योगदान के लिए 1923 में विश्व का सर्वोच्च पुरस्कार प्रदान किया गया।
उनकी दो कवितायेँ यहाँ प्रस्तुत हैं-
HIS DREAM
SWAYED upon the gaudy stern
The butt-end of a steering-oar,
And saw wherever I could turn
A crown upon the shore.
And though I would have
hushed the crowd,
There was no mother's son but
said,
'What is the figure in a
shroud
Upon a gaudy bed?'
And after running at the brim
Cried out upon that thing
beneath
--It had such dignity of limb--
By the sweet name of Death.
Though I'd my finger on my
lip,
What could I but take up the
song?
And running crowd and gaudy
ship
Cried out the whole night
long,
Crying amid the glittering
sea,
Naming it with ecstatic
breath,
Because it had such dignity,
By the sweet name of Death.
NO SECOND TROY
HY should I blame her that she filled my days
With misery, or that she
would of late
Have taught to ignorant men
most violent ways,
Or hurled the little streets
upon the great,
Had they but courage equal to
desire?
What could have made her
peaceful with a mind
That nobleness made simple as
a fire,
With beauty like a tightened
bow, a kind
That is not natural in an age
like this,
Being high and solitary and
most stern?
Why, what could she have done,
being what she is?
Was there another Troy for her to burn?
इसी के साथ नमस्कार दोस्तों...
फिर मिलेंगे किसी साहित्यकार के साथ।
जय हो!
सादर
बहुत ही सुन्दर और उपयोगी जानकारी! विश्व साहित्य से परिचित कराने का यह अनूठा प्रयास है!
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